Details, Fiction and sidh kunjika
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शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥ १२ ॥
किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
ऐं-कारी सृष्टि-रूपायै, ह्रींकारी प्रतिपालिका।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥
इति श्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वतीसंवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम् ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे more info ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ॥ ५ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तर शतनामावलिः